Cricket World Cup News
झारखंड के ही महेंद्र सिंह धोनी की ही तरह ईशान किशन को सफेद गेंद की क्रिकेट लाल गेंद के मुकाबले ज़्यादा पसंद है. टेस्ट क्रिकेट धोनी का बेहद पसंदीदा फॉर्मेट नहीं था फिर भी वो 100 टेस्ट खेलने वाले क्लब के बेहद करीब पहुंचे. देर से सही धोनी के शिष्य किशन को भी टेस्ट क्रिकेट में हाथ आजमाने का मौका मिल सकता है. लेकिन, जिस तरह से धोनी को अपने करियर की शुरुआत में थोड़ा किस्मत का सहारा मिला तो अब वैसा ही कुछ किशन के साथ होता दिख रहा है.
अगर धोनी को 2005 में मौके इसलिए मिले क्योंकि पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक जैसे उनके समकालीन विकेटकीपर खुद की जगह टीम में पक्की नहीं कर पाये तो किशन को ये मौका अपने समकालीन ऋषभ पंत और उसके बाद केएल राहुल के अनफिट होने के चलते मिला. उस दौर में धोनी को साथ मिला था कप्तान सौरव गांगुली तो इस दौर में किशन के चयन के लिए रोहित शर्मा ने चयनकर्ताओं को मनाने में अहम भूमिका निभाई. रोहित और किशन दोनों फिलहाल मुंबई इंडियंस से खेल रहे हैं और करीब लंबे समय से एकदूसरे को बखूबी जानते हैं.
कई आलोचकों को इस बात पर हैरानी हुई कि आखिर ऋद्धिमान साहा या फिर संजू सैमसन को बैकअप विकेटकीपर के लिए लंदन क्यों नहीं ले जाया जा रहा है. इसका जवाब सीधा है कि किशन पिछली टेस्ट सीरीज़ में भी टीम इंडिया का हिस्सा थे. आखिरी लम्हों में केएस भारत और सूर्यकुमार यादव को टेस्ट कैप मिल गई लेकिन किशन की दावेदारी भी काफी मज़बूत थी.
अगर सैमसन की बात की जाए तो शायद टेस्ट क्रिकेट में वो भी फिलहाल खुद को सबसे तगड़ा दावेदार नहीं मानेंगे क्योंकि वो अपने राज्य केरल के लिए विकेटकीपर की भूमिका नहीं निभाते हैं.
जहां तक साहा का सवाल है, उन्हें राहुल द्रविड़ ने पिछले साल ही कह दिया था कि अब वो भविष्य में युवा विकेटकीपर की तरफ ध्यान देंगे. साहा फिलहाल इस आईपीएल में ज़ोरदार तरीके से रन भी बना रहे हैं और विकेटकीपिंग भी अच्छी कर रहे हैं. इसलिए पूर्व विकेटकीपर सबा करीब जो कि कुछ साल पहले तक चयनकर्ता भी थे उन्होंने WTC टीम के चयन से पहले साहा की दावेदारी के पीछे अपना हाथ रखा था. सबा करीम की इस बात को समर्थन मिला था टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और पूर्व कोच अनिल कुंबले का. लेकिन, द्रविड़ तनिक भी डिगे नहीं और लंदन की फ्लाइट का टिकट अब किशन को ही मिला है. शायद कोई बेहद अनुभवी खिलाड़ी मुख्य चयनकर्ता होता तो हो सकता था कि साहा की दावेदारी किशन पर एकमात्र टेस्ट के लिए भारी पड़ सकती थी. क्योंकि जून के पहले हफ्ते में कीपर और बल्लेबाज़ दोनों के लिए ओवल का मैदान आसान साबित नहीं होने वाला है.
अगर आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर द्रविड़ को किशन में ऐसी क्या खूबी दिख गई है कि वो इंग्लैंड जैसे मुश्किल हालात में एक बेहद अहम टेस्ट मैच के लिए किशन की तरफदारी कर रहे हैं तो आपको बताना ज़रूरी है कि साल 2016 में पहली बार किशन जब अंडर 19 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान बने थे तो इसके कर्ताधर्ता द्रविड़ ही थे. हेड कोच के तौर पर उस वक्त द्रविड़ ने ऋषभ पंत से बेहतर लीडर किशन को माना था.
वैसे किशन की सोच में सकारात्मकता और आक्रामकता का बेहतरीन तालमेल देखने को मिलता है. कुछ महीने पहले ये लेखक रांची में किशन के इटंरव्यू के सिलसिले में उनसे मिलने स्टेडियम पहुंचा था. सवाल और जवाब के बीच में एक अहम सवाल ये भी था कि उनका पंसदीदा फॉर्मेट कौन सा है. किशन ने ये बताया था कि वो सफेद गेंद की क्रिकेट पसंद करते है लेकिन अगर कभी उन्हें भविष्य में लाल गेंद में तिहरा शतक लगाने का अवसर मिलता है तो वो अल्टीमेट उपलब्धि होगी. कहने का मतलब ये कि उन्हें ये एहसास था कि शायद पंत और केएल राहुल के रहते उन्हें नियमित तौर पर शायद ही टेस्ट क्रिकेट में मौका मिले लेकिन उनकी हसरत क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट में भी खुद की अनोखी छाप छोड़ने की ही है.
24 साल के किशन के लिए अपना पहला ही मैच इंग्लैंड में खेलना बेहद मुश्किल चुनौती साबित हो सकती है. 17 साल के युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ी के तौर अपने करियर की शुरुआत करने वाले किशन ने अब तक 8 साल में महज़ 48 फर्स्ट क्लास मैच ही खेले हैं. झारखंड के लिए भी वे पिछले रणजी सीजन में सिर्फ दो मैच ही खेले थे और इनमें से किसी में भी उन्होंनें कीपर की भूमिका नहीं निभाई थी. इंडिया ए के लिए चयनकर्ताओं ने पिछले चार साल के दौरान साहा, भारत और उपेंद्र यादव को मिलाकर 15 मैचों में मौके दिये जबकि किशन इस दौरान सिर्फ 2 ही मैच खेले.
इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ ओवल में महामुकाबले के लिए अगर किशन को प्राथमिकता दी गई तो उसकी वजह ये है कि अगर कोई ऋषभ पंत जैसा 50 फीसदी कमाल टेस्ट मैच में दिखा सकता है तो वो पटना के किशन ही हैं.
धोनी ने कप्तान के तौर पर टी20 और वनडे वर्ल्ड कप जीता है लेकिन WTC में कभी खेलने का मौका ही नहीं मिला. कुछ महीने पहले इस लेखक के साथ बातचीत में किशन ने कहा था कि अगर वो अपने करियर में धोनी की कामयाबी का 70 फीसदी भी हासिल कर पाए तो ये उनके लिए बहुत बड़ी बात होगी. 6 महीने पहले शायद किशन ने सोचा भी नहीं होगा कि वो इंग्लैंड में एक बेहद अहम टेस्ट खेलने के प्रबल दावेदार होंगे. अगर किस्मत ने इस बार झारखंड के विकेटकीपर बल्लेबाज़ का फिर से साथ दिया तो कौन जाने किशन के पास वो मेडल हो जो धोनी के पास भी नहीं है- वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में जीत! अगर ऐसा वाकई होता है तो इससे शानदार पटकथा लाल गेंद में किशन के लिए और क्या हो सकती है?
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Tags: Ishan kishan, Ms dhoni, WTC Final
FIRST PUBLISHED : May 13, 2023, 07:04 IST
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