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पीयूष पाठक/अलवर. क्रिकेट का हर कोई दीवाना है. क्रिकेट को लेकर अब लड़कियों में भी खासा उत्साह दिख रहा है. अलवर की बेटियां भी क्रिकेट के मैदान में छक्के और चौके लगाकर शहर को इस खेल में पहचान दिलवा रही है. बात अगर अपने पिता के सपनों की हो तो किसी और चीज की तरफ ध्यान ही नहीं जाता. कुछ ऐसी ही कहानी है अपनाघर शालीमार की दो बहनें रिषिता और वंशिका का. इन दोनों ने कई क्रिकेट प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. क्रिकेट इनके पिता का सपना रहा लेकिन वो रणजी से आगे नहीं खेल पाए. तो उसी सपने को सच करने के लिए उनकी बेटियों ने इसे अपना भी सपना बना लिया. दोनों लड़कियों ने इसके लिए स्कूल तक से दूरी बना ली वे सारा समय क्रिकेट को देती हैं.
बेटियों ने बताया कि उनके पिता का सपना क्रिकेट मे भारत के लिए खेलने का रहा. लेकिन वो पूरा नहीं हो पाया तो अब अपने पिता के सपने को पूरा करना ही उनका लक्ष्य है. ये दोनों बहनें करीब 7-8 साल से अपने पिता के साथ क्रिकेट के मैदान में जाती हैं. अब इनकी उम्र 13 साल और 15 साल है. प्रमोद यादव वर्ष 1996 से 2001 तक रणजी खिलाडी रह चुके हैं. सन 1997 में बेस्ट प्लेयर के रूप में इन्हें मथुरा दास अवार्ड से सम्मानित किया गया था. इनके पिता प्रमोद यादव ने बताया कि दोनों बहनों का अंडर 19 राजस्थान टीम के कैम्प में चयन भी हो चुका है.
बेटे का फर्ज निभा रहीं दोनों बेटियां
ये दोनों बहनें लडकियों की क्रिकेट टीम के अलावा लड़कों की टीम में भी खेलती हैं. क्योंकि कहा जाता है ना कि आप अपने से बेस्ट के साथ खेलो तो पता चलता है कि कहा कमी है. इनका प्रयास रहता है कि मैदान में कभी अभ्यास न छूटे. ये दोनों अलवर के अलावा जयपुर, इलाहाबाद, उदयपुर समेत कई जगहों पर क्रिकेट टूर्नामेंट में अपना बेहतर प्रदर्शन कर अलवर का नाम रोशन कर चुकी हैं.
7-8 घंटे करती हैं प्रैक्टिस
रिषिता ववंशिका ने बताया कि वे दोनों सुबह और शाम रोजाना प्रैक्टिस करती हैं. दिन में करीब 6-8 घंटे की प्रैक्टिस उनके पिता के देख रेख मे करती हैं. छोटी-छोटी बारीकियों को अपने पिता और कोच प्रमोद यादव से पूछती है. प्रमोद यादव ने बताया कि बहुत कम लड़कियां चाइनामैन बोलर होती हैं लेकिन मेरी एक बेटी चाइनामैन है. दूसरी बेटी ऑलराउंडर है.
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FIRST PUBLISHED : April 29, 2023, 12:17 IST
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