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डोंबिवली/भागेश्री प्रधान. इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल ने कई उभरते हुए खिलाड़ियों को खुद को साबित करने का मंच दिया है. आईपीएल 2023 में चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेल रहे महाराष्ट्र के एक खिलाड़ी ने सबका ध्यान खींचा है. इस खिलाड़ी को आप तुषार देशपांडे के नाम से जानते हैं, लेकिन क्या आप इनकी कहानी जानते हैं? कैसे तुषार इस मुकाम तक पहुंचे? उनके कोच और पैरैंट्स की क्या भूमिका उनकी कामयाबी के पीछे रही? ये तमाम बातें बताती हुई एक रिपोर्ट.

एक सामान्य परिवार में जन्मे तुषार बचपन से ही क्रिकेट के शौकीन थे और छोटी उम्र से ही बडे़ सपने देखते थे. कल्याण के केसी विद्यालय के छात्र तुषार ने अपना खेल तब शुरू किया जब वह चौथी कक्षा में थे. धीरे-धीरे पढ़ाई के साथ-साथ सुबह-शाम क्रिकेट का अभ्यास करने लगे. अगर कोई उनसे पूछता कि धूप में क्यों पढ़ रहे हो, तो तुषार का जवाब होता ‘मैं धूप में खेलना चाहता हूं.’ कोच तुषार समानिनी ने यह जानकारी दी.

तुषार की मेहनत, लगन और करियर की कहानी

तुषार के कोच की मानें तो कोरोना काल में लाकडाउन के चलते जिम बंद होने पर तुषार ने मैदान में ही जिम बनाने का अनुरोध किया. इसके बाद वह अपने खर्चे पर कल्याण के वेल मैदान में जिम के उपकरण लेकर आए. मैदान में आने वाले सभी खिलाड़ियों को इस जिम का इस्तेमाल करने को कहा. वह जब भी कल्याण में होते हैं तो इसी मैदान पर अभ्यास करते हैं. उस वक्त भी वह उसी जिम का इस्तेमाल कर करते हैं.

तुषार के पिता उदय देशपांडे ने तुषार के स्वभाव के बारे में बताते हुए कहा वेल नगर मैदान के सभी काम करने वालों और माली के साथ भी उनके संबंध अच्छे हैं. ‘एक क्रिकेटर होने के लिए बहुत मेहनत लगती है. तुषार शुरुआत में क्रिकेट खेल रहे थेण् लेकिन मैंने नहीं सोचा था कि इसमें करियर बनाएंगे. 10वीं के बाद उन्होंने क्रिकेट में करियर बनाने का फैसला किया. किसी भी खिलाड़ी को अपने लिए पांच से छह साल देने होते हैं. स्कूल ने भी उसे प्रोत्साहित किया.’

देशपांडे ने कहा पिछले कुछ सालों से रणजी और तीन साल से आईपीएल में खेल रहे तुषार ने इस साल अच्छा प्रदर्शन किया है. एक पिता के तौर पर मुझे उन पर गर्व है.

मां की वजह से जमीन से जुड़े हैं तुषार!

तुषार की मां का निधन दो साल पहले हुआ लेकिन तुषार के कोच की मानें तो संस्कार उन्होंने विरासत में सौंपे. उन्हीं के विचारों के चलते तुषार कामयाब होकर भी जमीनी स्वभाव रखते हैं. सामान्य परिवार का बच्चा जब ऊंचे मुकाम पर पहुंचता है तो बच्चे के पैर जमीन पर रखने का काम बच्चे के मां-बाप करते हैं. कोच ने कहा कि वह नहीं भूला कि उसकी माँ ने उसे क्या सिखाया था.

Tags: Indian Cricketer, IPL, Success Story

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