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Explained: नीतीश राणा और शिवम दुबे का सफर एक जैसा क्यों हैं? Cricket World Cup News

Cricket World Cup News

आईपीएल का कारवां अब लीग स्टेज से प्लेऑफ की तरफ पहुंचता दिख रहा है. चेन्नई सुपर किंग्स की टीम ने अब तक बेहतरीन खेल दिखाया है और लगभग अपनी जगह पक्की कर ली है तो वहीं कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम ने भी तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने आखिरी लीग से पहले तक प्लेऑफ की उम्मीदों को ज़िदा रखा हुआ है. अगर आप इन दोनों टीमों की इस सीज़न की यात्रा पर ग़ौर करेंगे तो पाएंगे कि 2 बल्लेबाज़ों ने कैसे लगभग एक तरह का खेल दिखाते हुए अपनी टीम और खुद को एक अलग पहचान दी है.

ना तो नीतीश राणा और ना ही शिवम दुबे इस सीज़न सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले टॉप 5 या 10 बल्लेबाज़ों में शुमार हैं. इन दोनों को बेहद युवा भी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि दोनों ही हमउम्र और 29 साल के हैं. ये दोनों अपनी अपनी टीमों के सुपर-स्टार खिलाड़ी भी नहीं हैं. ये दोनों घरेलू क्रिकेट में दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े राज्यों से आते हैं लेकिन अब तक इन्होंने ऐसा खेल नहीं दिखाया है कि इनके बारे में लगातार चर्चा होती रही हो.

बावजूद इसके ये बात निसंदेह कही जा सकती है कि मौजूदा आईपीएल में कोलकाता और चेन्नई की टीमों की परेशानियां बढ़ जाती अगर ये दोनों अपने निजी खेल से टीम के लिए नाजुक मौकों पर अहम योगदान नहीं देते. अगर कोलकाता के ओपनर नीतीश राणा ने अब तक 405 रन 33.75 की औसत और 143.10 के स्ट्राइक रेट से बनाए हैं तो वहीं दूसरी तरफ शिवम दुबे ने मध्यक्रम में चेन्नई के लिए राणा के मुकाबले भले ही कम (363) रन बनाए हों लेकिन उनका औसत (40.33) और स्ट्राइक रेट (147.14) राणा से बेहतर है. ये महज संयोग है कि दोनों ने अब तक टूर्नामेंट में तीन-तीन अर्धशतक बनाए हैं.

वैसे, नीतीश राणा और शिवम दुबे की अब तक क्रिकेट यात्रा में भी काफी समानताएं देखने को मिल सकती हैं. इन दोनों ने अपने पहले आपीएल में सिर्फ 4-4 मैच ही खेले. वैसे नीतीश राणा ने आईपीएल की शुरुआत 2016 में की तो दुबे ने 2019 में. इत्तेफाक से दोनों ने अब तक टीम इंडिया के लिए 1-1 वन-डे मैच ही खेला और इत्तेफाक से उस इकलौते मैच में भी दोनों का निजी स्कोर लगभग एक जैसी (10 और 9) रहा. हां, टी20 क्रिकेट में दुबे को राणा के मुकाबले 11 मैच ज़्यादा खेलने को मिले. अगर राणा को पिछले साल श्रीलंका दौर पर 2 टी20 मैचों के दौरान ना तो गेंद या फिर बल्ले से खेल दिखाने का मौका मिला तो वहीं दुबे एक दर्जन से ज़्यादा मैच खेलने के बावजूद टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की करने में नाकाम रहे.

अगर इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो आईपीएल 2023 इन दोनों के लिए निजी तौर पर बेहद अहम और चुनौतीपूर्ण था. दोनों के पास खुद की अहमियत को दोबारा साबित करने का ये शानदार मौका था. अगर राणा को अचानक से कप्तानी की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी मिली क्योंकि श्रेयस अय्यर अनफिट होकर टूर्नामेंट से बाहर हो चुके थे वहीं बेन स्टोक्स का ज़्यादातर मैचों में उपलब्ध नहीं होना, चेन्नई के लिए दुबे की भूमिका को मध्यक्रम में और अहम बना गया. अगर राणा ने 400 से ज़्यादा रन बनाकर अपने करियर का बेस्ट सीज़न इस बार देखा तो यही बात दुबे के साथ भी लागू होती है. अगर राणा ने ये साबित किया है कि कप्तानी की ज़िमम्मेदारी ने उन्हें और बेहतर और ज़िम्मेदार बल्लेबाज़ बनाया तो दुबे ने भी दिखाया कि अगर कोई कप्तान उनकी भूमिका साफ साफ तय कर दे तो वो उस पर खरा उतर सकते हैं. चेन्नई ने दुबे को मध्य-क्रम में बल्लेबाज़ी करते हुए स्पिनरों के छक्के-छुड़ाने की रणनीति पर अमल करने को कहा था क्योंकि ना तो रवींद्र जडेजा और ना ही कप्तान एमएस धोनी इस ख़ास भूमिका के लिए मौजूदा वक्त में सबसे प्रभावशाली बल्लेबाज थे.

एक तरह से देखा जाय तो राणा और दुबे दोनों बेहद भाग्यशाली भी हैं. उन्हें करियर के इस दौर में ऐसी शख्सियत का साथ मिला है जिससे उनके निजी खेल को बेहतर होने में मदद मिली है. अगर राणा की टीम कोलकाता के हेड कोच चंद्रकांत पंडित हैं तो दुबे के मेंटोर और कप्तान धोनी. घरेलू क्रिकेट में पंडित से ज़्यादा कामयाब कोच कोई और नहीं और शायद राणा जैसे युवा कप्तान को मार्गदर्शन के लिए इस वक्त उनसे बेहतर कोई और कोच नहीं होता. और धोनी के बारे में क्या कहा जाय. जब विरोधी टीम के हर खिलाड़ी मैच के बाद सिर्फ 5 मिनट की बातचीत से इतने खुश हो जाते हैं तो दुबे की सोचिये जो हर रोज़ धोनी के साथ पिछले 2 महीने कई घंटे बिता रहे हैं.

आखिर में एक बात और. शायद इस बात से राणा और दुबे की कामयाबी का आकलन नहीं किया जाना चाहिए कि इस आईपीएल में उनकी टीमें चैंपियन होती हैं या नहीं. ना ही इन दोनों की तुलना यशस्वी जायसवाल जैसी युवी प्रतिभा के साथ करना सही होगा जिन्होंने इस सीज़न अपने खेल से तूफान मचा दिया है. इन दोनों खिलाड़ियों के लिए एक प्लेइंग इलेवन में शामिल होना शायद इस पटकथा का स्वर्णिम अंत हो सकता है लेकिन इसके लिए ज़रुरी ये होगा कि आने वाले कुछ महीनों में राणा और दुबे आईपीएल वाली इस फॉर्म को हर फॉर्मेट में निरंतरता बनाते हुए आगे बढ़ते रहें. फिर हो सकता है कि 2024 में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए भी ये दोनों खिलाड़ी अपना दावा मज़बूत कर पाएं. आईपीएल 2023 की कामयाबी ने इन दोनों को कम से कम इतना भरोसा तो ज़रूर दिया होगा कि ये फिर से भारतीय टीम में वापसी कर सकते हैं और इस बार वो शायद मिले मौके पर चौका लगाने में कोई कसर ना छोड़ें.

Tags: Chennai super kings, IPL 2023, Kolkata Knight Riders, Nitish rana, Shivam Dube

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