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साल 2008 और अप्रैल महीने की 18वीं तारीख. Royal Challengers Bangalore बनाम Kolkata Knight Riders के बीच खेले जाने वाले पहले आईपीएल मैच की कवरेज के लिए दिल्ली से बैंगलोर पहुंचने वाले दो पत्रकारों में से ये लेखक भी थे. ज़्यादातर स्थानीय रिपोर्टर के बीच इस मैच को कवर करने पर अगर ये आभास होता कि ये कोई टीम इंडिया का वनडे मुकाबला है तो इस एहसास को मिटाने के लिए इंग्लैंड और यहां तक कि अमेरिका से आए चुनिंदा पत्रकारों की मौजूदगी से ये भी पता चल रहा था कि आईपीएल वाकई में क्रिकेट जगत की एक बड़ी घटना होने जा रही है. उस वक्त ये कयास लगाये जा रहे थे कि क्रिकेट इतिहास में ये तीसरी सबसे बड़ी क्रांति साबित हो सकती है. इससे पहले 1977 में कैरी पैकर की वर्ल्ड सीरीज़ ने डे-नाइट मुकाबले और रंगीन कपड़ों का परिचय क्रिकेट को करा दिया था और दूसरी सबसे बड़ी क्रांति 1983 के विश्व कप में टीम इंडिया की जीत थी जिससे क्रिकेट के बाज़ारीकरण का असली दौर शुरु हुआ. आईपीएल से उम्मीद की जा रही थी ये कमोबेश उसी अंदाज़ में क्रिकेट को बदल डालेगा.
करीब 15 साल बाद और 1000वें मैच के दौरान अगर ये कहा जाय कि आईपीएल ने हर आकलन को तोड़ते हुए एक खास मुकाम हासिल किया है तो शायद अतिशंयोक्ति नहीं होगी. “अगर आईपीएल चलता है तो ये क्रिकेट को बदल देगा, यह हेड लाइन थी पहले मैच से पहले की अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयार्क टाइम्स की . संभवत: आईपीएल भारत से पैदा होने वाला एक एक ऐसा प्रोडक्ट था जिस पर दुनिया की नज़रें टिकी हुई थी.
आज इंग्लिश क्रिकेट बैज़बाल ( Bazball) पर इतरा रही है जिसके चलते टेस्ट क्रिकेट को खेलने को लेकर नज़रिये में क्रांतिकारी बदलाव होता दिख रहा है तो उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि बैज़बाल के जनक ब्रैंडन मैक्कुलम ने पहली गेंद से आखिरी गेंद तक हमला बोलने वाली रणनीति की पहली झलक इसी आईपीएल के पहले मैच में दी थी.
ब्रेंडन मैक्कुलम ने 2008 के उस मैच में 158 रन की पारी खेली थी जिसके चलते इस टूर्नामेंट को एक फोटो-फिनिश वाली शुरुआत भी मिली थी. निसंदेह उस मैच के बाद आईपीएल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और तमाम विवादों के बावजूद पूरी दुनिया में इस बात को लेकर अब भी होड़ मची हुई है कि आईपीएल जैसी ही या उससे थोड़ी कमतर लीग अपने अपने देश में स्थापित की जा सकी. पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, वेस्टइंडीज़, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के अलावा ना जाने कितने अलग अलग देशो में आईपीएल के फॉर्मूले को दोहराने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, हर कोई ये बात को भूल जाता है कि जब तक बीसीसीआई टीम इंडिया के टॉप 20 खिलाड़ियों को दूसरी लीग में खेलने की इजाजत नहीं देता है तब तक आईपीएल की हस्ती वाला तो दूर की बात की बात इसके 50 फीसदी बराबर वाला टूर्नामेंट भी खड़ा नहीं हो सकता है.
बहरहाल, अगर मैं फिर से आपको आईपीएल के पहले मैच से पहले की प्रेस कांफ्रेस पर ले जाने की कोशिश करूं तो वो नज़ारा भूला नहीं जा सकता है. सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जो एक दूसरे के बेहद करीब दोस्त और सहयोगी खिलाड़ी रहे थे अब अचानक एक-दूसरे के ख़िलाफ़ रणनीति बनाने की जद्दोजेहद में जुटे हुए थे. गांगुली और रिकी पोटिंग जो एक साल पहले तक एक-दूसरे के ख़िलाफ तू-तू मैं-मैं में लगे रहते थे वो अब एक-दूसरे के साथी खिलाड़ी थे. ये सब बातें दोनों खिलाड़ियों के बैंगलोर की उस शाम में असहज महसूस करा रहे थे.
इंग्लैंड की अख़बार द इंडिपेंडेंट के वरिष्ठ पत्रकार स्टीफन ब्रैंकली से इस लेखक की मुलाकात प्रेस बाक्स में होती है और उन्होंने तंज कसते हुए इस लेखक को कहा कि अब क्रिकेट की कवरेज सिर्फ हमारे जैसे युवा ही करेंगे क्योंकि टेस्ट क्रिकेट का भविष्य अंधकारमय दिखता है. 15 साल बाद और 1000वें आईपीएल गेम के बाद ये निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि टेस्ट क्रिकेट के मृत हो जाने वाली भविष्यवाणी जो पिछले 50 सालों से चल रही है, वो खोखली ही साबित हुई है. आज अगर मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा आईपीएल मैच के साथ साथ किसी और मैच के बारे में सोच रहे हैं, रणनीति बना रहे हैं, जीतने के लिए बेताब हैं तो वो टेस्ट क्रिकेट ही है. इसे महज इत्तेफाक ही नहीं कहा जा सकात है कि आईपीएल के ठीक ख़त्म होते ही टीम इंडिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में जीत के लिए अपना सब कुछ झोंकना पडेंगा.
कोई इस बात को याद नहीं रखेगा कि रोहित ने मुंबई इंडियंस को छठी बार चैंपियन बनाया या नहीं, लेकिन क्रिकेट की हर पीढ़ी इस बात को याद रखेगी कि भारत ने पहली बार WTC फाइनल रोहित की कप्तानी में जीता. कहने का मतलब ये है कि आईपीएल ने क्रिकेट में चली आ रही देश बनाम क्लब बहस को भी एकतरह से ख़त्म कर दिया है. दो महीने क्लब सबसे अहम है लेकिन साल के 10 महीने खिलाड़ियों के लिए देश ही सबसे बड़ी प्राथमिकता रहती है. हां, ये बात अलग है कि इस संतुलन को बनाये रखने के लिए क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों को काफी माथा-पच्ची करती रहनी पड़ती है.
एक बात और आईपीएल के पहले नीलामी के दौरान एडम गिलक्रिस्ट जैसे दिग्गज ने माना था कि उन्हें ऐसा लग रहा था कि वो गाय की ब्रिक्री वाले बाज़ार में हैं. आज आईपीएल की नीलामी में अपना नाम देखना हर खिलाड़ी के लिए उसके करियर का बेहद यादगार लम्हा होता है. 2008 के आईपीएल में अगर सिर्फ दिमित्री मैस्करहैनस नाम का इकलौता खिलाड़ी मौजूद था तो आज इंग्लैंड की वर्ल्ड चैंपियन टीम का हर खिलाड़ी सबसे ज़्यादा मांग में रहता है. यहां तक कि इंग्लैंड ने खुद 2019 वन-डे वर्ल्ड कप और 2022 में टी20 वर्ल्ड कप में जीत के लिए आईपीएल को भी श्रेय देने में हिचकिचाहट नहीं दिखायी है. 1 से 1000 और 1000 से 2000 और फिर 5 और फिर 10 हज़ार ना जाने कब और कैसे आईपीएल का ये शानदार सफर हर किसी को अपनी यादों के समंदर में समाता ले जायेगा लेकिन कुछ यादें हमेशा के लिए ज़ेहन में बरकरार रहें. मसलन, मैक्कुलम का वो पहला शतक, धोनी का 2010 और 2011 में लगातार दो कप जीतना, रोहित शर्मा का रिकॉर्ड 5वीं बार खिताब जीतना, 2016 में कोहली का विराट रूप जहां वो असंभव तरीके से 1000 रन बनाने के बेहद करीब पहुंचे (973 बनाये थे), क्रिस गेल का आईपीएल का सुपर बॉस वाला रूप जिसके नाम सबसे ज़्यादा छक्के, सबसे तेज़ शतक और सबसे बड़ी पारी का रिकॉर्ड दर्ज है और एबी डिविलियर्स और राशिद ख़ान जैसे विदेशी खिलाड़ियों को एकदम भारतीय दिग्गजों की तरह सम्मान और प्यार मिलने वाले लम्हे… ये कुछ बातें शायद अगर 1000वें गम तक भी प्रासंगिक रहे.
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Tags: BCCI, IPL, IPL 2023, Virat Kohli
FIRST PUBLISHED : May 01, 2023, 15:37 IST
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